सुप्रीम कोर्ट ने नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू में शामिल करने को सही माना था

एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने सरकार से राहत की अपील की थी


वोडाफोन-आइडिया पर लाइसेंस फीस के 28309 करोड़, एयरटेल पर 21682 करोड़ बकाया  


 

नई दिल्ली. टेलीकॉम कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में पेनल्टी और ब्याज में छूट देने के प्रस्ताव पर सरकार फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी। प्रसाद ने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी टेलीकॉम सेक्टर के मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठकें कर चुकी है।


'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर बकाया राशि अलग होगी'




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    प्रसाद ने कहा कि टेलीकॉम इंडस्ट्री, सर्विस प्रोवाइडर और टावर कंपनियों पर अगस्त 2017 तक 7.87 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। 16 टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर पर लाइसेंस फीस की कुल बकाया राशि 92,642 करोड़ रुपए है। ये प्रोविनल आंकड़ा है। एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर के फैसले के आधार पर बकाया राशि की गणना अलग होगी।


     




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    प्रसाद के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया पर लाइसेंस फीस के 28,309 करोड़, भारती एयरटेल पर 21,682 करोड़, टेलीनॉर पर 1,950 करोड़ और टाटा ग्रुप की कंपनियों पर 9,987 करोड़ रुपए बकाया हैं।


     




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    सुप्रीम कोर्ट ने नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू को भी एजीआर का हिस्सा मानने के दूरसंचार विभाग के दावे को बरकरार रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को बकाया भुगतान करने का आदेश 24 अक्टूबर को दिया था। एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने टेलीकॉम सेक्टर के संघ सीओएआई के जरिए भुगतान में कुछ राहत देने की अपील की थी।